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तुकाराम की कविताओं की सैंकड़ों पंक्तियाँ, मुहावरों और लोकोक्तियों की तरह प्रचलित हैं और जाने-अनजाने रोज़मर्रा की बातचीत में, अख़बारी ख़बरों और लेखों में, भाषणों और नारों में, साहित्य और सामाजिक आन्दोलनों और धर्म में उनकी जीवन्त उपस्थिति है। वह प्रगतिशील रूढ़िविरोधी सामाजिक आन्दोलनों के सहज मार्गदर्शक पुरखे हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि मराठी में आधुनिक कविता के प्रतिनिधि कवियों के लिए तुकाराम बहुत महत्त्वपूर्ण बने रहे। विन्दा करंदीकर, दिलीप चित्रे, भालचन्द्र नेमाड़े, अरुण कोलटकर सरीखे कवि तुकाराम से बहुत गहरे स्तर पर जुड़े रहे और उनकी अपनी रचनात्मक यात्रा में तुका की उपस्थिति देखी जा सकती है।