Vyomesh Shukla
Vyomesh Shukla
व्योमेश शुक्ल

व्योमेश शुक्ल का जन्म 25 जून, 1980 को बनारस में हुआ। यहीं बचपन और एम. ए. तक पढ़ाई। शहर के जीवन, अतीत, भूगोल और दिक़्क़तों पर एकाग्र लेखों और प्रतिक्रियाओं के साथ 2004 में लिखने की शुरूआत। 2005 में व्योमेश ने ईराक़ पर हुई अमेरिकी ज़्यादतियों के बारे में मशहूर अमेरिकी पत्रकार इलियट वाइनबर्गर की किताब का हिंदी अनुवाद ‘मैंने इराक़ के बारे में जो सुना’ शीर्षक से किया, जिसे हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘पहल’ ने एक पुस्तिका के तौर पर प्रकाशित किया। इस अनुवाद ने व्यापक लोकप्रियता और सराहना अर्जित की। व्योमेश ने विश्व-साहित्य से नॉम चॉमस्की, हार्वर्ड ज़िन, रेमंड विलियम्स, टेरी इगल्टन, एडवर्ड सईद और भारतीय वांग्मय से महाश्वेता देवी और के. सच्चिदानंदन के लेखन का अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद किया है। मशहूर अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने एक सर्वेक्षण में उन्हें भारत के दस श्रेष्ठ युवा लेखकों में शामिल किया है तो जानेमाने साप्ताहिक इंडिया टुडे ने उन्हें देश के सामाजिक-सांस्कृतिक दृश्यालेख में परिवर्तन करने वाली पैंतीस शख़्सियतों में जगह दी है।

प्रकाशित कृतियाँ : फिर भी कुछ लोग (2009), काजल लगाना भूलना (2020) (कविता-संग्रह); कठिन का अखाड़ेबाज़ (2020), तुम्हें खोजने का खेल खेलते हुए (2021) (आलोचना); आग और पानी (2023) (बनारस पर एकाग्र गद्य)

पुरस्कार / सम्मान : कविता के लिए वर्ष 2008 का अंकुर मिश्र स्मृति पुरस्कार और 2010 का भारत भूषण अग्रवाल स्मृति सम्मान, आलोचना के लिये 2011 में रज़ा फ़ेलोशिप और संस्कृति-कर्म के लिए भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का ‘जनकल्याण सम्मान’। रंगनिर्देशन के लिए संगीत नाटक अकादेमी द्वारा वर्ष 2017 का उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार दिया गया है।

व्योमेश शुक्ल बनारस में रहकर रूपवाणी शीर्षक से एक रंगमंडल का संचालन करते हैं।

संपर्क: vyomeshshukla@gmail.com